July 18, 2025
What is Mark I

50 फीट लंबा, 5 टन वजनी – मिलिए पहले Automatic कंप्यूटर से!

दोस्तों, जरा कल्पना करिए… अगर 1940 के दशक में ही कोई ऐसी मशीन होती जो बिना थके, बिना रुके, खुद ही कैलकुलेशन कर ले — वो भी पूरी तरह ऑटोमैटिक तरीके से!
बस इंसान निर्देश दे और घंटों का हिसाब-किताब मिनटों में निपट जाए! 🤯

हां जी! यही कारनामा कर दिखाया था – Mark I ने!
👉 ये था दुनिया का पहला Fully Automatic Electro-Mechanical Computer, जिसने modern computing की नींव रखी थी।

तो चलिए जान लेते हैं इस ज़बरदस्त invention की पूरी कहानी – Mark I क्या था, कैसे बना, क्या कर सकता था, और इसे इतना खास क्यों माना गया? 🔍

What is Mark I? | मार्क I क्या था?

Mark I क्या था? – पहला Fully Automatic Computer!

Mark I (1944) The First Fully Automatic Computer

Mark I, जिसे Harvard Mark I के नाम से भी जाना जाता है, दुनिया का पहला पूरी तरह ऑटोमैटिक और इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कंप्यूटर था। इसे 1944 में आईबीएम (IBM) और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर बनाया था, और इसका डिज़ाइन किया था हावर्ड आइकन (Howard Aiken) ने।

👉 ये मशीन करीब 50 फीट लंबी थी, वजन था लगभग 5 टन, और इसमें हजारों गियर, तार, और रिले लगे थे।

👉 Mark I  पंच कार्ड्स के जरिए इनपुट लेता था और फिर बड़ी तेज़ी से कैलकुलेशन करता था – बिलकुल बिना किसी इंसानी दखल के! 🤖

कैसे करता था काम?

कैसे करता था काम?

Mark I (1944) The First Fully Automatic Computer

  • Mark I में रिले-बेस्ड सिस्टम (Relay-Based System) था, जिसकी मदद से ये:

जोड़ (Addition) सिर्फ 0.3 सेकंड में कर लेता था!
✅ और भाग (Division) जैसे बड़े कैलकुलेशन में भी सिर्फ 6 सेकंड लगते थे।

  • इसमें ना कोई मॉनिटर था, ना स्क्रीन — जो भी आउटपुट मिलता था वो पंच कार्ड्स या प्रिंटर के जरिए ही मिलता था। 🖨️
  • उसे step-by-step instructions दी जाती थीं, और वो बिना रुके, खुद-ब-खुद उन पर काम करता था – यही बनाता था उसे fully automatic!

क्यों खास था Mark I?

personnel using the machine for ballistic and artillery calculations. The room has an industrial war-time atmosphere with maps on the walls, war documents on tables, and punched cards being processed by the machine. The Mark I is large, mechanical, with spinning parts and wires, symbolizing its automatic nature. The mood is serious, strategic, and revolutionary—depicting the moment computing changed warfare and future technology.

Mark I पहला ऐसा कंप्यूटर था जो लगातार बिना रुके गणनाएँ (calculations) कर सकता था – यानी इंसानी मदद के बिना भी चलता रहता था।

द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) के दौरान इसे नौसेना (Navy) ने ballistic calculations और artillery planning जैसे critical कामों में इस्तेमाल किया — जिससे जमीन से लेकर समंदर तक strategy बदल गई। ⚓💣

✅ इसने आने वाले कंप्यूटर्स की नींव (foundation) तैयार की और IBM जैसी टेक कंपनी के विकास में एक बड़ा कदम साबित हुआ।

Mark I क्यों था इतना शानदार?

  1. Fully Automatic था – यानी एक बार प्रोग्राम कर दिया तो इंसानी दखल के बिना लगातार काम करता था।

  2. High Accuracy – जोड़, गुणा, भाग जैसी गणनाएँ बेहद सटीक करता था।

  3. World War II Hero – युद्ध के समय, अमेरिका की नौसेना ने इसका उपयोग किया हथियारों के डाटा और ट्रैजेक्टरी कैलकुलेशन के लिए।

  4. IBM की Tech Journey का स्टार्ट – यही वह प्रोजेक्ट था जिसने IBM को future computers बनाने की direction दी।

लेकिन कुछ कमियाँ भी थीं…

🔹 बहुत बड़ा और भारी – करीब 50 फीट लंबा और 5 टन वजनी! यानी अपने कमरे में नहीं, शायद एक छोटे हॉल में ही समा पाए 😅

🔹 Output काफी स्लो था – Division करने में इसे 6 सेकंड तक लगते थे। यानी आज के smartphone calculator से भी धीरे!

🔹 कोई memory system नहीं था – डेटा store करने का कोई तरीका नहीं। हर बार नया पंच कार्ड डालना पड़ता था… थोड़ा झंझट भरा प्रोसेस था।

🔹 Programmability भी limited थी – Instructions पहले से fix होते थे, बार-बार बदल नहीं सकते थे। मतलब dynamic काम करना possible नहीं था।

Mark I (1944) The First Fully Automatic Computer

Mark I कोई आम मशीन नहीं थी – यह उस दौर की सबसे बड़ी टेक छलांग थी, जिसने इंसानों को ये दिखाया कि मशीनें भी सोच-समझकर काम कर सकती हैं।
यह पहला Fully Automatic कंप्यूटर था जिसने गणनाओं को इंसानी मेहनत से मुक्त कर दिया।

लेकिन…
जैसे-जैसे जरूरतें बढ़ीं और दुनिया तेजी से बदलने लगी, वैसे-वैसे Mark I की सीमाएं भी सामने आईं – यह भारी-भरकम था, धीमा था और प्रोग्रामिंग में लचीलापन नहीं था।

💡 और यही वो मोड़ था, जहां से अगली डिजिटल क्रांति की नींव रखी गई – ENIAC और आगे आने वाले स्मार्ट कंप्यूटर्स की!

अब अगली पोस्ट में जानेंगे – ABC Computer (1942) के बारे में!
जिसे कई लोग “पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर” भी मानते हैं!

तो सवाल ये है –
जब Mark I जैसे भारी-भरकम कंप्यूटर थे, तब ABC ने क्या नया किया?
💡 और क्यों ये कंप्यूटर एक silent hero बन गया, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं?

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तैयार रहिए… क्योंकि अब कहानी जा रही है deep tech zone में! 😎
💌 और हाँ… इस पोस्ट को अपने उस खास दोस्त के साथ जरूर शेयर कीजिए,
जो आपकी ही तरह एक sacche tech lover हैं – जिसे कंप्यूटर, मशीन और टेक्नोलॉजी से वैसी ही मोहब्बत है जैसी चाय से होती है सुबह-सुबह! ☕💻😉

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Top Trending FAQs for - : What is Mark I? | मार्क I क्या था?

👉 Mark I दुनिया का पहला Fully Automatic Electro-Mechanical Computer था, जिसे 1944 में IBM और Harvard ने बनाया।

 इसे Howard Aiken ने डिज़ाइन किया था ताकि WWII में नेवी की जटिल गणनाएँ जल्दी और सटीक हो सकें।

👉 यह पंच कार्ड्स से चलता था, automatic था, और Addition सिर्फ 0.3 सेकंड में कर सकता था!

👉 इसने future computers की राह बनाई और IBM जैसे टेक जाइंट्स की शुरुआत की। इसे ही modern computing की पहली सीढ़ी माना जाता है।

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